मोबाइल रिपेयरिंग :मोबाइल के बनें डॉक्टर
बाजार में आजकल मोबाइल फोन रिपेयर करने वालों की अच्छी-खासी मांग है। अगर आप मोबाइल रिपेर्यंरग का काम जानते हैं, लेकिन आय से संतुष्ट नहीं हैं, तो थोड़ी ट्रेनिंग के साथ आप महंगे हैंडसेट्स की मरम्मत करके कहीं ज्यादा आमदनी कर सकते हैं।
आज के समय में लोगों की सबसे अहम जरूरत बन गया है मोबाइल फोन। बड़े शहरों से लेकर दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों तक हर जगह बगैर मोबाइल के जीवन की कल्पना करना मुश्किल है। पिछले एक दशक में देश में मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या इतनी तेजी से बढ़ी है कि भारत दुनियाभर में दूसरा सबसे ज्यादा मोबाइल इस्तेमाल करने वाला देश बन गया है। कीमत में गिरावट और बेहतर फीचर्स मिलने की वजह से महंगे ब्रांडेड स्मार्टफोन का इस्तेमाल भी बढ़ा है। इसी वजह से छोटे शहरों से लेकर महानगरों तक के हर गली-मोहल्ले में मोबाइल रिपेयर करने वाले मिल जाते हैं।
इस मामले में बेसिक हैंडसेट्स मरम्मत करने वाले आसानी से मिल जाएंगे, पर महंगे और ब्रांडेड मोबाइल रिपेयर करवाने के लिए लोगों को परेशान होना पड़ता है। बाजार में महंगे मोबाइल सेट की सर्विसिंग देने वाले कुशल लोगों की कमी है। खास तरह की ट्रेनिंग लेकर आप पूरे आत्मविश्वास के साथ महंगे हैंडसेट्स की मरम्मत में भी महारत हासिल कर सकते हैं और अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं और इसके लिए आपको कहीं दूर जाने की जरूरत भी नहीं होगी।
बेहतर प्रशिक्षण है जरूरी
मोबाइल रिपेयरिंग का काम ऐसा काम है, जिसे बगैर प्रशिक्षण के नहीं किया जा सकता है। आमतौर पर मोबाइल में की-पैड, चार्जिंग, जॉयस्टिक, माइकरिंगर, स्पीकर, कैमरा, पावर स्विच, टच स्क्रीन, डिस्प्ले स्क्रीन, नेटवर्क, ब्लूटूथ, सेट हैंग से जुड़ी समस्या आती है। बगैर प्रशिक्षण के इनकी मरम्मत कामचलाऊ ही होती है। खासकर ब्रांडेड मोबाइल फोन की मरम्मत के लिए ट्र्रेंनग लेना बेहद जरूरी है। हर छोटे-बड़े शहर में आईटीआई और कई प्राइवेट संस्थान इससे जुड़े कुछ प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहे हैं। सर्टिफिकेट कोर्स दो-तीन से छह माह के होते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप कुछ वेबलिंक्स पर जा सकते हैं- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन, दिल्ली , नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एन्टरप्रेन्योरशिप एंड स्मॉल बिजनेस डेवलपमेंट, नोएडा , जीआरएएस एकेडमी, आईटीआई, करोल बाग नई दिल्ली
मोबाइल रिपेयरिंग का काम ऐसा काम है, जिसे बगैर प्रशिक्षण के नहीं किया जा सकता है। आमतौर पर मोबाइल में की-पैड, चार्जिंग, जॉयस्टिक, माइकरिंगर, स्पीकर, कैमरा, पावर स्विच, टच स्क्रीन, डिस्प्ले स्क्रीन, नेटवर्क, ब्लूटूथ, सेट हैंग से जुड़ी समस्या आती है। बगैर प्रशिक्षण के इनकी मरम्मत कामचलाऊ ही होती है। खासकर ब्रांडेड मोबाइल फोन की मरम्मत के लिए ट्र्रेंनग लेना बेहद जरूरी है। हर छोटे-बड़े शहर में आईटीआई और कई प्राइवेट संस्थान इससे जुड़े कुछ प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहे हैं। सर्टिफिकेट कोर्स दो-तीन से छह माह के होते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप कुछ वेबलिंक्स पर जा सकते हैं- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन, दिल्ली , नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एन्टरप्रेन्योरशिप एंड स्मॉल बिजनेस डेवलपमेंट, नोएडा , जीआरएएस एकेडमी, आईटीआई, करोल बाग नई दिल्ली
जानें-समझें फोन को
मोबाइल की मरम्मत करने के काम में फोन के हरेक हिस्से से परिचित होना भी बहुत जरूरी है। इसके लिए आपको बेसिक कॉम्पोनेंट्स जानने होंगे, जिसका अर्थ है मोबाइल के ऐसे पुर्जे, जिनका इस्तेमाल मोबाइल के मदर बोर्ड या सर्किट में किया जाता है। ब्रांडेड मोबाइल या किसी भी सस्ते-महंगे मोबाइल को ठीक करने के लिए मोबाइल के बेसिक कॉम्पोनेंट्स जैसे कि रेजिस्टेंस, क्वाइल, कंट्रोलर, फ्यूज, माइक को पहचानना और उसकी कार्य प्रणाली समझना बेहद जरूरी है।
मोबाइल की मरम्मत करने के काम में फोन के हरेक हिस्से से परिचित होना भी बहुत जरूरी है। इसके लिए आपको बेसिक कॉम्पोनेंट्स जानने होंगे, जिसका अर्थ है मोबाइल के ऐसे पुर्जे, जिनका इस्तेमाल मोबाइल के मदर बोर्ड या सर्किट में किया जाता है। ब्रांडेड मोबाइल या किसी भी सस्ते-महंगे मोबाइल को ठीक करने के लिए मोबाइल के बेसिक कॉम्पोनेंट्स जैसे कि रेजिस्टेंस, क्वाइल, कंट्रोलर, फ्यूज, माइक को पहचानना और उसकी कार्य प्रणाली समझना बेहद जरूरी है।
असली पुर्जों का ही करें प्रयोग
जब भी आप महंगे मोबाइल की मरम्मत कर रहे हैं, तो खराब हुए पुर्जों की जगह पर उसी ब्रांड के असली पुर्जे का इस्तेमाल करें। उदाहरण के लिए अगर मोटोरोला कंपनी के ‘मोटो जी’ मोबाइल के स्पीकर में खराबी आ गई हो तो आप उसे बनाते समय उसी कंपनी का स्पीकर लगाएं। अगर आप कंपनी का स्पीकर लगाएंगे तो 300 रुपए का खर्च आएगा, जबकि लोकल स्पीकर 80 से 100 रुपए में मिल जाएगा। लेकिन सबसे अहम बात है कि कंपनी का ही स्पीकर लगाने पर आपके किए गए काम के जल्द खराब होने की आशंका बहुत कम होगी। यह आपकी साख के लिए उचित काम करेगा।
जब भी आप महंगे मोबाइल की मरम्मत कर रहे हैं, तो खराब हुए पुर्जों की जगह पर उसी ब्रांड के असली पुर्जे का इस्तेमाल करें। उदाहरण के लिए अगर मोटोरोला कंपनी के ‘मोटो जी’ मोबाइल के स्पीकर में खराबी आ गई हो तो आप उसे बनाते समय उसी कंपनी का स्पीकर लगाएं। अगर आप कंपनी का स्पीकर लगाएंगे तो 300 रुपए का खर्च आएगा, जबकि लोकल स्पीकर 80 से 100 रुपए में मिल जाएगा। लेकिन सबसे अहम बात है कि कंपनी का ही स्पीकर लगाने पर आपके किए गए काम के जल्द खराब होने की आशंका बहुत कम होगी। यह आपकी साख के लिए उचित काम करेगा।
समस्या पता करने का तरीका
मोबाइल फोन में दो तरह की समस्या देखने को मिलती हैं- सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की। कोई भी समस्या आने पर पहले सॉफ्टवेयर पर ध्यान दें। उदाहरण के लिए अगर मोबाइल में रिंगटोन की समस्या है तो सबसे पहले उसके सॉफ्टवेयर की जांच करें। प्रशिक्षण के दौरान फॉल्ट यानी समस्या पता करने का बेहतर अभ्यास करने पर आप मोबाइल देखते ही उसकी जड़ तक पहुंच जाएंगे। इससे आपका समय बचेगा और आप प्रभावी तरीके से काम कर सकेंगे।
मोबाइल फोन में दो तरह की समस्या देखने को मिलती हैं- सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की। कोई भी समस्या आने पर पहले सॉफ्टवेयर पर ध्यान दें। उदाहरण के लिए अगर मोबाइल में रिंगटोन की समस्या है तो सबसे पहले उसके सॉफ्टवेयर की जांच करें। प्रशिक्षण के दौरान फॉल्ट यानी समस्या पता करने का बेहतर अभ्यास करने पर आप मोबाइल देखते ही उसकी जड़ तक पहुंच जाएंगे। इससे आपका समय बचेगा और आप प्रभावी तरीके से काम कर सकेंगे।
आमदनी
मोबाइल रिपेयर करने वाले बताते हैं कि पहले सामान्य मोबाइल की मरम्मत करने पर जहां महीने में 10-12 हजार रुपए की आमदनी हो पाती थी, वहीं ब्रांडेड मोबाइल की रिपर्येंरग करने पर अब वह आसानी से 20 से 25 हजार रुपए मासिक कमा लेते हैं। वह सलाह देते हैं कि काम में अच्छे होने के साथ ग्राहकों के साथ अच्छे सबंध रखने से भी आप ज्यादा ग्राहकों को आकर्षित करने में कामयाब हो सकते हैं।
मोबाइल रिपेयर करने वाले बताते हैं कि पहले सामान्य मोबाइल की मरम्मत करने पर जहां महीने में 10-12 हजार रुपए की आमदनी हो पाती थी, वहीं ब्रांडेड मोबाइल की रिपर्येंरग करने पर अब वह आसानी से 20 से 25 हजार रुपए मासिक कमा लेते हैं। वह सलाह देते हैं कि काम में अच्छे होने के साथ ग्राहकों के साथ अच्छे सबंध रखने से भी आप ज्यादा ग्राहकों को आकर्षित करने में कामयाब हो सकते हैं।
सीखने में एप से लें मदद
मोबाइल मरम्मत की तकनीक समझने के लिए आप मोबाइल एप और यूट्यूब पर ट्यूटोरियल वीडियोज का सहारा ले
सकते हैं। यूट्यूब पर सभी नामी-गिरामी कंपनियों के मोबाइल रिपेयरिंग के वीडियो उपलब्ध हैं। आप जिस कंपनी के जिस मॉडल की रिपेयरिंग के बारे में जानना चाहते हैं उस कंपनी का नाम डाल कर यूट्यूब पर सर्च कर सकते हैं। अगर आप रोजाना कुछ समय इन वीडियों को देखें तो मोबाइल मरम्मत के अपने हुनर को बेहतर बना सकते हैं।
गूगल प्ले स्टोर से मोबाइल रिपेर्यंरग एप डाउनलोड कर सकते हैं। उसका इस्तेमाल भी आपके प्रशिक्षण को आसान बनाएगा और भविष्य में भी फायदेमंद साबित हो सकता है।
मोबाइल मरम्मत की तकनीक समझने के लिए आप मोबाइल एप और यूट्यूब पर ट्यूटोरियल वीडियोज का सहारा ले
सकते हैं। यूट्यूब पर सभी नामी-गिरामी कंपनियों के मोबाइल रिपेयरिंग के वीडियो उपलब्ध हैं। आप जिस कंपनी के जिस मॉडल की रिपेयरिंग के बारे में जानना चाहते हैं उस कंपनी का नाम डाल कर यूट्यूब पर सर्च कर सकते हैं। अगर आप रोजाना कुछ समय इन वीडियों को देखें तो मोबाइल मरम्मत के अपने हुनर को बेहतर बना सकते हैं।
गूगल प्ले स्टोर से मोबाइल रिपेर्यंरग एप डाउनलोड कर सकते हैं। उसका इस्तेमाल भी आपके प्रशिक्षण को आसान बनाएगा और भविष्य में भी फायदेमंद साबित हो सकता है।
बदलावों पर रहे नजर
मोबाइल फोन की तकनीक में काफी तेजी से बदलाव हो रहा है। हर दिन नए-नए सॉफ्टवेयर और फीचर्स आ रहे हैं। खासकर बड़ी-बड़ी कंपनियां हर नए मोबाइल के साथ कुछ नए फीचर्स ला रही हैं। हर दिन बदलने वाले इन फीचर्स और तकनीकों से खुद को अपडेट रखें। मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम भी काफी तेजी से बदल रहे हैं। अधिकांश स्मार्टफोन में एंड्रॉयड ऑपर्रेंटग सिस्टम होता है। जबकि कुछ अन्य में जैसे कि एप्पल में आईओएस, माइक्रोसॉफ्ट में विंडोज और ब्लैकबेरी में ओएस 10 ऑपर्रेंटग सिस्टम है। पहले एंड्राएड 2.0 था लेकिन अब लॉलीपॉप, किटकैट और लेटेस्ट एंड्रायड 6.0 मार्शमैलो जैसे कई वर्जन आ चुके हैं।
मोबाइल फोन की तकनीक में काफी तेजी से बदलाव हो रहा है। हर दिन नए-नए सॉफ्टवेयर और फीचर्स आ रहे हैं। खासकर बड़ी-बड़ी कंपनियां हर नए मोबाइल के साथ कुछ नए फीचर्स ला रही हैं। हर दिन बदलने वाले इन फीचर्स और तकनीकों से खुद को अपडेट रखें। मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम भी काफी तेजी से बदल रहे हैं। अधिकांश स्मार्टफोन में एंड्रॉयड ऑपर्रेंटग सिस्टम होता है। जबकि कुछ अन्य में जैसे कि एप्पल में आईओएस, माइक्रोसॉफ्ट में विंडोज और ब्लैकबेरी में ओएस 10 ऑपर्रेंटग सिस्टम है। पहले एंड्राएड 2.0 था लेकिन अब लॉलीपॉप, किटकैट और लेटेस्ट एंड्रायड 6.0 मार्शमैलो जैसे कई वर्जन आ चुके हैं।
हर ब्रांड की समझ बनाएं
आमतौर पर सभी स्मार्टफोन में ऑपर्रेंटग सिस्टम, डिस्प्ले, टच स्क्रीन, 3जी/4जी, डबल सिम, एचडी डिस्प्ले, रैम, प्रोर्सेंसग, जीपीएस नेविगेशन, स्क्रीन रिजोल्यूशन, एक्टिविटी ट्रैकिंग, प्रोसेसर, कैमरा मेगापिक्सल, पावर बैकअप आदि जैसे फीचर्स होते ही हैं। ब्रांडेड मोबाइल में फीचर्स एक दूसरे से कुछ हद तक अलग होते हैं, जैसे किसी मोबाइल में ऑपरेटिंग सिस्टम एंड्रायड 2.0 है तो किसी में लॉलीपॉप या किटकैट। कुछ फीचर्स एक दूसरे से काफी हद मिलते-जुलते भी होते हैं। ऐसे में अगर बारीकी से सभी फीचर्स और उनकी कार्यप्रणाली को समझ लिया जाए तो इन्हें बनाना आसान हो जाता है।
आमतौर पर सभी स्मार्टफोन में ऑपर्रेंटग सिस्टम, डिस्प्ले, टच स्क्रीन, 3जी/4जी, डबल सिम, एचडी डिस्प्ले, रैम, प्रोर्सेंसग, जीपीएस नेविगेशन, स्क्रीन रिजोल्यूशन, एक्टिविटी ट्रैकिंग, प्रोसेसर, कैमरा मेगापिक्सल, पावर बैकअप आदि जैसे फीचर्स होते ही हैं। ब्रांडेड मोबाइल में फीचर्स एक दूसरे से कुछ हद तक अलग होते हैं, जैसे किसी मोबाइल में ऑपरेटिंग सिस्टम एंड्रायड 2.0 है तो किसी में लॉलीपॉप या किटकैट। कुछ फीचर्स एक दूसरे से काफी हद मिलते-जुलते भी होते हैं। ऐसे में अगर बारीकी से सभी फीचर्स और उनकी कार्यप्रणाली को समझ लिया जाए तो इन्हें बनाना आसान हो जाता है।
जानें जॉब के जोखिम से जुड़ी पांच अहम बातें
हर काम के साथ कुछ न कुछ जोखिम जुड़े होते हैं। इन जोखिमों से पार पाने के लिए ध्यान रखें ये पांच महत्वपूर्ण बातें
हर काम के साथ कुछ न कुछ जोखिम जुड़े होते हैं। इन जोखिमों से पार पाने के लिए ध्यान रखें ये पांच महत्वपूर्ण बातें
समय के साथ बदलाव जरूरी
तकनीक में बदलाव के चलते काम करने की शैली में तेजी से बदलाव आ रहे हैं, इसके अनुसार अपनी उपयोगिता बनाए रखने के लिए नए हुनर सीखने का क्रम जारी रखें।
तकनीक में बदलाव के चलते काम करने की शैली में तेजी से बदलाव आ रहे हैं, इसके अनुसार अपनी उपयोगिता बनाए रखने के लिए नए हुनर सीखने का क्रम जारी रखें।
नेतृत्व का गुण
ऑफिस में आपका व्यवहार पहल करने वाला, लोगों को साथ लेकर चलने वाला होना चाहिए। इससे विरोधी कम होते हैं और पहचान बढ़ती है।
ऑफिस में आपका व्यवहार पहल करने वाला, लोगों को साथ लेकर चलने वाला होना चाहिए। इससे विरोधी कम होते हैं और पहचान बढ़ती है।
कार्य के दौरान प्रशिक्षण लें
होटल मैनेजमेंट जैसे पेशों में काम के लिए विशेष ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन कुछ स्थितियों में अपने अनुभव के आधार पर व्यवहार की जरूरत होती है।
होटल मैनेजमेंट जैसे पेशों में काम के लिए विशेष ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन कुछ स्थितियों में अपने अनुभव के आधार पर व्यवहार की जरूरत होती है।
जो काम पसंद हो, वही करें
पूरी तरह सोच-विचार कर पेशा चुनें और अपना काम दिल लगाकर करें, क्योंकि बढ़िया काम करने वालों को किसी तरह की परेशानी नहीं होती, लेकिन औसत काम करने वाले जल्द ही लोगों की नजर में आ जाते हैं और इसी आधार पर उनकी छंटनी भी होती है।
पूरी तरह सोच-विचार कर पेशा चुनें और अपना काम दिल लगाकर करें, क्योंकि बढ़िया काम करने वालों को किसी तरह की परेशानी नहीं होती, लेकिन औसत काम करने वाले जल्द ही लोगों की नजर में आ जाते हैं और इसी आधार पर उनकी छंटनी भी होती है।
Comments
Post a Comment