लॉकडाउन के दो महीने से ज्यादा गुजर जाने के बाद सरकार को भी यह बात समझ में आ गई है कि महामारी का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए इससे जितना फायदा मिलना था वह मिल चुका। अब प्रतिबंधों के साथ इसे आगे बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है। लॉकडाउन के प्रतिबंधों में धीरे-धीरे ढील दे दी गई। यात्रा शुरू हो गई है। दुकानें खुलने लगी हैं। कारोबार एवं उद्योग को एक बार फिर चालू किया जा रहा है। बंद पड़ीं सार्वजनिक गतिविधियों में हलचल शुरू हो गई है। हर तरफ चहलकदमी शुरू होने के बाद जनजीवन दोबारा पटरी पर लाने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। यह स्पष्ट हो गया है कि अब मनुष्य को कोरोना के दिए हुए घाव के साथ आगे बढ़ना है लेकिन साथ ही ये हमेशा ध्यान रखना होगा कि लोगों की आवाजाही शुरू हो जान के बाद इस महामारी का खतरा पहले से कहीं ज्यादा बना रहेगा।
गतिविधियां शुरू होने से बाहर भीड़ बढ़ी
लॉकडाउन के दूसरे चरण तक लोगों की गतिविधियां एक सीमित दायरे तक सीमित थीं। लोग सब्जी, दूध और दवाई जैसे जरूरी सामान लेने के लिए ही घर से बाहर निकलते थे लेकिन अब काम करने के लिए लोगों बाहर आ रहे हैं। बाजार, दुकान, कारोबार खुलने से बाहर भीड़ बढ़ गई है। ऐसे माहौल में संक्रमण का फैलना का खतरा बना रहेगा क्योंकि कोरोना से संक्रमित व्यक्ति से कब और कहां पर मुलाकात हो जाएगी इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। इसलिए सावधानी बरतना पहले से ज्यादा जरूरी है।

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