सावन मास में करें शिव आराधना, इन नियमों का रखें ख्याल
सावन मास में चारों ओर वर्षा होती रहती है। जल की बहुतायत होने की वजह से यह मास शिव का भी प्रिय मास है। इस मास में शिव का जलाभिषेक करने से वो शीघ्र प्रसन्न होते हैं अपने भक्तों को मनचाहा वरदान देते हैं। शिवालयों में इस दौरान शिव भक्तों का काफी जमावड़ा लगा रहता है, लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते श्रद्धालु घर पर ही शिवपूजा करेंगे। सावन मास के सोमवार का काफी महत्व है और इसका विधि-विधान से पूजन किया जाता है।
सावन सोमवार के व्रत की पूजा संध्या के वक्त की जाती है। इसके लिए सूर्योदय के पूर्व उठकर व्रत का संकल्प लें। शिवलिंग का जलाभिषेक कर अबीर, गुलाल, चंदन, बेलपत्र आदि से श्रंगार करें। भांग, धतूरा, श्वेत मिठाई, ऋतुफल, बेलफल चढ़ाए। दीप, धूप लगाएं और आरती करें।
सावन सोमवार के नियम
सावन सोमवार के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें। अनैतिक कार्यों से बचें और बुरे विचारों को मन में न लाए। वृद्धों, असहायों की मदद करे और उनका सम्मान करें। सावन मास में बैंगन का सेवन न करें। तामसिक आहार जैसे मांस, मदिरा आदि का त्याग करें। इस महीनें में पौधारोपण करें, लेकिन हरे पेड़ों को काटने से बचें।
स्कंद पुराण में सावन के नियम
स्कंदपुराण के अनुसार शिवभक्त को सावन मास में एक समय व्रत करना चाहिए। इसका मतलब यह है कि एक समय सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए। स्नान के जल में बिल्वपत्र या आंवला डालकर स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से जाने-अनजाने में हुए समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। सावन मास में जल में भगवान श्रीहरी का वास होता है। इसलिए इस महीने तीर्थ के जल में स्नान का काफी महत्व बतलाया गया है। असहायों, गरीबों और साधु-संतों को वस्त्रों का दान करना चाहिए। चांदी के पात्र में दूध, दही या पंचामृत का दान करना चाहिए। तांबे के बर्तन में अन्न, फल या भोजन सामग्री को रखकर दान करना चाहिए।
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