सचिन पायलट और अशोक गहलोत की तकरार से कांग्रेस में फिर लौटी 'यंग बनाम ओल्ड' की लड़ाई
यह कोई पुरानी बात नहीं है जब कांग्रेस पार्टी के युवा और ऊर्जावान नेताओं से लोकसभा भरा हुआ रहता था। इनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट, जितिन प्रसाद, संदीप दिक्षित और राहल जैसे लोग शामिल थे। यह नए जमाने की कांग्रेस थी, जिसने अपने दिग्गज नेताओं के साथ यूथ पावर की ब्रांडिंग की। लेकिन धीरे-धीरे स्थिति काफी बदल गई।
मध्य प्रदेश के दिग्गज और ऊर्जावान नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ना सिर्फ बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की, बल्कि अपने समर्थक विधायकों के बल पर वर्षों बाद एमपी की सत्ता में आई कांग्रेस की सरकार को भी गिरा दिया। सिंधिया एमपी की राजनीति में खुद को दरकिनार महसूस कर रहे थे। महाराष्ट्र में कांग्रेस के युवा चेहरा मिलिंद देवड़ा ने भी हाल में मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। इतना ही नहीं कई अन्या युवा नेता भी आजकल चर्चा में नहीं हैं।
मध्य प्रदेश में जब 2018 में कांग्रेस पार्टी की जीत मिली थी, इसका श्रेय ज्योतिरादित्य सिंधिया की रणनीति को दिया गया, लेकिन दो साल बीत गए उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं बनाया गया। इसी साल मार्च में उन्होंने कांग्रेस से नाता तोड़ते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया। वहीं, राजस्थान की बात करें तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत का श्रेय सचिन पायलट को दिया गया।
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